Contents
इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागता: |
सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च || 2||
idaṁ jñānam upāśhritya mama sādharmyam āgatāḥ
sarge ’pi nopajāyante pralaye na vyathanti cha
Audio
भावार्थ:
इस ज्ञान को आश्रय करके अर्थात धारण करके मेरे स्वरूप को प्राप्त हुए पुरुष सृष्टि के आदि में पुनः उत्पन्न नहीं होते और प्रलयकाल में भी व्याकुल नहीं होते॥2॥
Translation
Those who take refuge in this wisdom will be united with me. They will not be reborn at the time of creation nor destroyed at the time of dissolution.
English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda