Gopal Gokul Dhun By Jagjit Singh – Radhe Krishna Radhe Shyam
हे… हे… हे…
गोपाल गोकुल वल्लभी
प्रिय गोप गोसुत वल्लभम
-4
चरणारविन्द महम भजे
चरणारविन्द महम भजे,
भजनीय सुर मुनि
दुर्लभम्।
घनशाम काम अनेक छवि
लोकाभिराम मनोहरम।
किंजलिक वसन किशोर
मूर्ति मूल गुण
करुणाकरम्
गोपाल गोकुल वल्लभी
प्रिय गोप गोसुत वल्लभम
-4
सिरकेकि पच्छ विलोल
कुंडल अरुंण वनरूह
लोचनं
गुंजावतंस विचित्र सब
अंग धातु भाव भय मोचनम।
गोपाल गोकुल वल्लभी
प्रिय गोप गोसुत वल्लभम
।
कच कुटिल सुंदर तिलक
भ्रूराकामयंक समाननम।
अपहरण तुलसी दास त्रास
विहार वृन्दा कननम।
गोपाल गोकुल वल्लभी
प्रिय गोप गोसुत वल्लभम
-4
(राधे कृष्णा राधे
कृष्णा कृष्णा कृष्णा
राधे
राधे श्याम राधे श्याम,
श्याम श्याम राधे
राधे।)-