He Nath Ab To, Aisi Daya Ho – Bhajan By Sudhanshuji Maharaj
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए
ये मन ना जाने क्या क्या कराये
कुछ बन ना पाए मेरे बनाये
कुछ बन ना पाए मेरे बनाये
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए
ऐसा जगा दो फिर सो ना जाऊँ
अपने को निष्काम प्रेमी बनाऊँ
तुमको ही चाहु तुमको ही पाऊँ
संसार का भय कुछ रह ना पाए
ये मन ना जाने क्या क्या कराये
कुछ बन ना पाए मेरे बनाये
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए
वो योग्यता दो सत्कर्म करलू
ह्रदय में अपने सद्भाव भरलू
नर तन है साधन भवसिन्धु तरलू
ऐसा समय फिर आये न आये
ये मन ना जाने क्या क्या कराये
कुछ बन ना पाए मेरे बनाये
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए
जीवन निरर्थक जाने न पाए
हे नाथ अब तो ऐसी दया हो
जीवन निरर्थक जाने न पाए