Jagat ke Rang, Krishna Bhajan - Jagat Ke Rang By Jaya Kishori
Jagat ke Rang, Krishna Bhajan - Jagat Ke Rang By Jaya Kishori

Krishna Bhajan – Jagat Ke Rang By Jaya Kishori

जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है।
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है॥

नहीं चाहिए ये दुनियां के निराले रंग ढंग मुझको,
निराले रंग ढंग मुझको
चली जाऊँ मैं वृंदावन
चली जाऊँ मैं वृंदावन तेरा श्रृंगार काफी है 
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है 

जगत के साज बाजों से हुए हैं कान अब बहरे 
हुए हैं कान अब बहरे 
कहाँ जाके सुनूँ बंशी
कहाँ जाके सुनूँ बंशी मधुर वो तान काफी है 
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है 

जगत के रिश्तेदारों ने बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का
तेरे भक्तों से हो प्रीति 
तेरे भक्तों से हो प्रीति श्याम परिवार काफी है 
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है 

जगत की झूटी रौनक से हैं आँखें भर गयी मेरी 
हैं आँखें भर गयी मेरी 
चले आओ मेरे मोहन
चले आओ मेरे मोहन दरश की प्यास काफी है 

जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है 
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है

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