Paon Padu Tore Shyam Brij Main Laut Chalo By Mohammad Rafi

पाँव पड़ूँ तोरे श्याम
बृज में लौट चलो, लौट चलो
पाँव पड़ूँ तोरे श्याम
बृज में लौट चलो   ...

सूनी कदम की ठण्डी छइय्याँ खोजे धुन बंसी की
ब्याकुल होके बृज न डुबो दे लहरें जमुनाजी की
लौट चलो, लौट चलो   ...

दूध दही से भरी मटकिया तोड़े कौन मुरारी
असुवन जल से भरे गगरिया पनघट पे पनिहारि
लौट चलो, लौट चलो   ...

बिलख रही है मात यशोदा नन्द्जी दुःख में खोये
कुछ तो सोच अरे निमर्ओही बृज का कण कण रोये
लौट चलो, लौट चलो 
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