Maa Ki Har Baat, Maa Ki Har Baat  Sonu Nigam
Maa Ki Har Baat, Maa Ki Har Baat Sonu Nigam

Maa Ki Har Baat Sonu Nigam

पास की सुनती है डोर की सुनती है
गुमनाम के संग संग मशहूर की सुनती है
मा तो मा है मा के भक्तों
मा तो हर मजबूर की सुनती है
मा की हर बात निराली है
बात निराली है की मा की हर करामात निराली है
महादाती से हर किसी को मिली सौगात निराली है
मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है

वक्त के चाल बदले दुख के जंजाल बदले
इसके चर्नो में झुककर बड़े कंगल बदले
यहा जो आए स्वाली कभी वो जाए ना खाली
ये लाती पतझड़ में भी हर चमन में हरियाली
हूओ काली रातों में लाती प्रभात निराली है

मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है

दया जब इसकी होती तो कंकर बनते मोटी
जिसे ये आप जगा दे ना फिर किस्मेट वो सोती
गमों से घिरने वाले बड़े इश्स मा ने संभाले
फासे मझधार में बेड़े इसी ने बाहर निकले
हूओ इसकी मीठी ममता की बरसात निराली है

मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है

दुख कटती है ये सुख बताती है
हमें पलटी है ये दिन रात ही
जादू इसका अजीब देखो होके करीब
ये तो बदले नसीब दिन रात ही
हूऊ इसकी रहंत हर निर्दोष के साथ निराली है

मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है
बात निराली है की मा की हर करामात निराली है
महादाती से हर किसी को मिली सौगात निराली है
मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है
मा की हर बात निराली है

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