ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -२

ओ मईया तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में -२
हाय री तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में -२

यधपि भरत तेरो ही जायो,
तेरी करनी देख लज्जायो,
अपनों पद तैने आप गँवायो 
भरत की नजरन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में ,
हठीली तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में 

महल छोड़ वहाँ नहीं’ रे मड़ैया,
सिया सुकुमारी,संग दोउ भईया,
काहू वृक्ष तर भीजत होंगे,
तीरो मेहन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में ,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में -२

कौशल्या की छिन गयी वाणी,
रोय ना सकी उर्मिला दीवानी,
कैकेयी तू बस एक ही रानी
रह गयी महलन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में ,
दीवानी तैने का ठानी मन में,
राम-सिया भेज दइ री वन में -२

https://youtu.be/utNROIIHEcA

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