बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी
बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी
इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी
जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की
अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न-विजय-माला-सी
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से
रानी से भी अधिक हमे अब, यह समाधि है प्यारी
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी
जाओ रानी याद करेंगे ये कृतज्ञ भारत वासी
तेरा यह बलिदान जगावेगा स्वतन्त्रता अविनाशी
होवे चुप इतिहास लगे सच्चाई को चाहे फ़ासी
तेरा स्मारक तू ही होगी,तू खुद अमिट निशानी
बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी
झांसी वाली रानी…झांसी वाली रानी…..