अन्त तरणा रे संत सिंगाजी भजन Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs
अन्त तरणा रे संत सिंगाजी भजन Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs

अन्त तरणा रे संत सिंगाजी भजन लिरिक्स

Ant Tarna Re Singaji Bhajan

अन्त तरणा रे संत सिंगाजी भजन लिरिक्स (हिन्दी)

अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरणा रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

रूप स्वरूप कि बनी सुंदरी,
माया देख नही भूलना,
यो परदेसी फिर नही आवे,
लख चौरासी फिरना,
अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरना रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

व्यर्थ जनम गया रे बहु तेरा,
माया मे लुभाना रे,
श्रवण नाम नही कियो हरि को,
भेष धरि धरि मरणा,
अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरना रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

धन दौलत ओर माल खजाना,
पल मे होय वीराना,
अल्टी पवन चले घट भीतर,
उनका करो ठिकाना,
अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरना रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

साधु के तो अधीन रहना,
उपाय कभी नही करना,
कहे जन सिंगा सुनो भाई साधो,
रहो राम की शरणा,
अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरना रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

अन्त तरना अन्त तरना,
अन्त तरणा रे,
निज नाम का सुमरण करणा,
अंतर तरना रे।।

गायक संतोष जी महाराज।
प्रेषक घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज।

अन्त तरणा रे संत सिंगाजी भजन Video

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