Anup Jalota’s Bhajan: “Naam Hari Ka Japle Bande…”.
राम नाम रटते रहो
जब तक घट में प्राण
कभी तो दीन-दयाल के भनक पड़ेगी कान
जब तक घट में प्राण
कभी तो दीन-दयाल के भनक पड़ेगी कान
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
तू कहता है मेरी काया
काया का गुमान क्या
तू कहता है मेरी काया
काया का गुमान क्या
चाँद सा सुन्दर यह तन तेरे
मिट्टी में मिल जाएगा
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
काया का गुमान क्या
तू कहता है मेरी काया
काया का गुमान क्या
चाँद सा सुन्दर यह तन तेरे
मिट्टी में मिल जाएगा
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछतायेगा
फिर पीछे पछतायेगा
वहां से क्या तू लाया बन्दे?
यहाँ से क्या ले जाएगा?
यहाँ से क्या ले जाएगा?
वहां से क्या तू लाया बन्दे?
यहाँ से क्या ले जाएगा?
यहाँ से क्या ले जाएगा?
मुठ्ठी बाँध के आया जग में
हाथ पसारे जाएगा
फिर पीछे पछतायेगा
हाथ पसारे जाएगा
फिर पीछे पछतायेगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले बन्दे
फिर पीछे पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
बाला पन में खेल्या-खाया
आयी जवानी मस्त रहा
आयी जवानी मस्त रहा
बाला पन में खेल्या-खाया
आयी जवानी मस्त रहा
आयी जवानी मस्त रहा
बूढ़ापन में रोग सताए
खाट पड़ा पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
खाट पड़ा पछताएगा
फिर पीछे पछताएगा
नाम हरी का जप ले…
https://youtu.be/0o83K9kC6Co
Browse all bhajans by Anup Jalota