यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्‌ ॥
यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्‌ ॥

यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणय: |

धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत् || 46||

yadi mām apratīkāram aśhastraṁ śhastra-pāṇayaḥ
dhārtarāṣhṭrā raṇe hanyus tan me kṣhemataraṁ bhavet

भावार्थ:

यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिए हुए धृतराष्ट्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिए अधिक कल्याणकारक होगा॥46॥

Translation

It will be better if, with weapons in hand, the sons of Dhritarashtra kill me unarmed and unresisting on the battlefield.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

1.46 Sri Sankaracharya did not comment on this sloka. The commentary starts from 2.10.

See also  Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 4

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