अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्‌ ।पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्‌ ॥
अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्‌ ।पितॄणामर्यमा चास्मि यमः संयमतामहम्‌ ॥

अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम् |
पितृणामर्यमा चास्मि यम: संयमतामहम् || 29||

anantaśh chāsmi nāgānāṁ varuṇo yādasām aham
pitṝīṇām aryamā chāsmi yamaḥ sanyamatām aham

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भावार्थ:

मैं नागों में (नाग और सर्प ये दो प्रकार की सर्पों की ही जाति है।) शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरुण देवता हूँ और पितरों में अर्यमा नामक पितर तथा शासन करने वालों में यमराज मैं हूँ॥29॥

Translation

Amongst the snakes I am Anant; amongst aquatics I am Varun. Amongst the departed ancestors I am Aryama; amongst dispensers of law I am Yamraj, the lord of death.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  Amba Devi Temple, Amravati

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