एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः ।सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः ॥
एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः ।सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः ॥

एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्वत: |
सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशय: || 7||

etāṁ vibhūtiṁ yogaṁ cha mama yo vetti tattvataḥ
so ’vikampena yogena yujyate nātra sanśhayaḥ

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भावार्थ:

जो पुरुष मेरी इस परमैश्वर्यरूप विभूति को और योगशक्ति को तत्त्व से जानता है (जो कुछ दृश्यमात्र संसार है वह सब भगवान की माया है और एक वासुदेव भगवान ही सर्वत्र परिपूर्ण है, यह जानना ही तत्व से जानना है), वह निश्चल भक्तियोग से युक्त हो जाता है- इसमें कुछ भी संशय नहीं है॥7॥

Translation

Those who know in truth my glories and divine powers become united with me through unwavering bhakti yog. Of this there is no doubt.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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