ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ॥
ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ॥

तत: स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जय: |
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत || 14||

tataḥ sa vismayāviṣhṭo hṛiṣhṭa-romā dhanañjayaḥ
praṇamya śhirasā devaṁ kṛitāñjalir abhāṣhata

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भावार्थ:

उसके अनंतर आश्चर्य से चकित और पुलकित शरीर अर्जुन प्रकाशमय विश्वरूप परमात्मा को श्रद्धा-भक्ति सहित सिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोले॥14॥

Translation

Then, Arjun, full of wonder and with hair standing on end, bowed his head with folded hands before the Lord and addressed him thus.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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