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अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रित: |
सर्वकर्मफलत्यागं तत: कुरु यतात्मवान् || 11||
athaitad apy aśhakto ’si kartuṁ mad-yogam āśhritaḥ
sarva-karma-phala-tyāgaṁ tataḥ kuru yatātmavān
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भावार्थ:
यदि मेरी प्राप्ति रूप योग के आश्रित होकर उपर्युक्त साधन को करने में भी तू असमर्थ है, तो मन-बुद्धि आदि पर विजय प्राप्त करने वाला होकर सब कर्मों के फल का त्याग (गीता अध्याय 9 श्लोक 27 में विस्तार देखना चाहिए) कर॥11॥
Translation
If you are unable to even work for Me in devotion, then try to renounce the fruits of your actions and be situated in the self.
English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda