14 (12), Bhagavad Gita: Chapter 13, Verse 14
14 (12), Bhagavad Gita: Chapter 13, Verse 14

सर्वत: पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम् |
सर्वत: श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति || 14||

sarvataḥ pāṇi-pādaṁ tat sarvato ’kṣhi-śhiro-mukham
sarvataḥ śhrutimal loke sarvam āvṛitya tiṣhṭhati

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भावार्थ:

वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला तथा सब ओर कान वाला है, क्योंकि वह संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है। (आकाश जिस प्रकार वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का कारण रूप होने से उनको व्याप्त करके स्थित है, वैसे ही परमात्मा भी सबका कारण रूप होने से सम्पूर्ण चराचर जगत को व्याप्त करके स्थित है) ॥13॥

Translation

Everywhere are His hands and feet, eyes, heads, and faces. His ears too are in all places, for He pervades everything in the universe.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  Navagraha

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