23 (11), Bhagavad Gita: Chapter 13, Verse 23
23 (11), Bhagavad Gita: Chapter 13, Verse 23

उपद्रष्टानुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वर: |
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुष: पर: || 23||

upadraṣhṭānumantā cha bhartā bhoktā maheśhvaraḥ
paramātmeti chāpy ukto dehe ’smin puruṣhaḥ paraḥ

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भावार्थ:

इस देह में स्थित यह आत्मा वास्तव में परमात्मा ही है। वह साक्षी होने से उपद्रष्टा और यथार्थ सम्मति देने वाला होने से अनुमन्ता, सबका धारण-पोषण करने वाला होने से भर्ता, जीवरूप से भोक्ता, ब्रह्मा आदि का भी स्वामी होने से महेश्वर और शुद्ध सच्चिदानन्दघन होने से परमात्मा- ऐसा कहा गया है॥22॥

Translation

Within the body also resides the Supreme Lord. He is said to be the Witness, the Permitter, the Supporter, Transcendental Enjoyer, the ultimate Controller, and the Paramātmā (Supreme Soul).

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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