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स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि |
धर्म्याद्धि युद्धाच्छ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते || 31||
swa-dharmam api chāvekṣhya na vikampitum arhasi
dharmyāddhi yuddhāch chhreyo ’nyat kṣhatriyasya na vidyate
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भावार्थ:
तथा अपने धर्म को देखकर भी तू भय करने योग्य नहीं है अर्थात् तुझे भय नहीं करना चाहिए क्योंकि क्षत्रिय के लिए धर्मयुक्त युद्ध से बढ़कर दूसरा कोई कल्याणकारी कर्तव्य नहीं है॥31॥
Translation
Besides, considering your duty as a warrior, you should not waver. Indeed, for a warrior, there is no better engagement than fighting for upholding of righteousness.
English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda