कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम्‌ ।क्रियाविश्लेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति ॥
कामात्मानः स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम्‌ ।क्रियाविश्लेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति ॥

कामात्मान: स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम् |
क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति || 43||

kāmātmānaḥ swarga-parā janma-karma-phala-pradām
kriyā-viśheṣha-bahulāṁ bhogaiśhwarya-gatiṁ prati

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भावार्थ:

वे अविवेकीजन इस प्रकार की जिस पुष्पित अर्थात्‌ दिखाऊ शोभायुक्त वाणी को कहा करते हैं, जो कि जन्मरूप कर्मफल देने वाली एवं भोग तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार की बहुत-सी क्रियाओं का वर्णन करने वाली है,

Translation

They glorify only those portions of the Vedas that please their senses, and perform pompous ritualistic ceremonies for attaining high birth, opulence, sensual enjoyment, and elevation to the heavenly planets.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  Bhagavad Gita: Chapter 15, Verse 16

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