सहयज्ञाः प्रजाः सृष्टा पुरोवाचप्रजापतिः ।अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्‌ ॥
सहयज्ञाः प्रजाः सृष्टा पुरोवाचप्रजापतिः ।अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्‌ ॥

सहयज्ञा: प्रजा: सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापति: |
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक् || 10||

saha-yajñāḥ prajāḥ sṛiṣhṭvā purovācha prajāpatiḥ
anena prasaviṣhyadhvam eṣha vo ’stviṣhṭa-kāma-dhuk

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भावार्थ:

प्रजापति ब्रह्मा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ द्वारा वृद्धि को प्राप्त होओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो॥10॥

Translation

In the beginning of creation, Brahma created humankind along with duties, and said, “Prosper in the performance of these yajñas (sacrifices), for they shall bestow upon you all you wish to achieve.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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