व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे । तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्‌ ॥
व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे । तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम्‌ ॥

व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे |
तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम् || 2||

vyāmiśhreṇeva vākyena buddhiṁ mohayasīva me
tad ekaṁ vada niśhchitya yena śhreyo ’ham āpnuyām

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भावार्थ:

आप मिले हुए-से वचनों से मेरी बुद्धि को मानो मोहित कर रहे हैं। इसलिए उस एक बात को निश्चित करके कहिए जिससे मैं कल्याण को प्राप्त हो जाऊँ॥2॥॥

Translation

Arjun said: O Janardan, if you consider knowledge superior to action, then why do you ask me to wage this terrible war? My intellect is bewildered by your ambiguous advice. Please tell me decisively the one path by which I may attain the highest good.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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