मयि सर्वाणि कर्माणि सन्नयस्याध्यात्मचेतसा ।निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥
मयि सर्वाणि कर्माणि सन्नयस्याध्यात्मचेतसा ।निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥

प्रकृतेर्गुणसम्मूढा: सज्जन्ते गुणकर्मसु |
तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत् || 29||

prakṛiter guṇa-sammūḍhāḥ sajjante guṇa-karmasu
tān akṛitsna-vido mandān kṛitsna-vin na vichālayet

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भावार्थ:

प्रकृति के गुणों से अत्यन्त मोहित हुए मनुष्य गुणों में और कर्मों में आसक्त रहते हैं, उन पूर्णतया न समझने वाले मन्दबुद्धि अज्ञानियों को पूर्णतया जानने वाला ज्ञानी विचलित न करे॥29॥

Translation

Those who are deluded by the operation of the guṇas become attached to the results of their actions. But the wise who understand these truths should not unsettle such ignorant people who know very little.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  Bhagavad Gita: Chapter 12, Verse 14

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