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यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति |
तस्याहं न प्रणश्यामि स च मे न प्रणश्यति || 30||
yo māṁ paśhyati sarvatra sarvaṁ cha mayi paśhyati
tasyāhaṁ na praṇaśhyāmi sa cha me na praṇaśhyati
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भावार्थ:
जो पुरुष सम्पूर्ण भूतों में सबके आत्मरूप मुझ वासुदेव को ही व्यापक देखता है और सम्पूर्ण भूतों को मुझ वासुदेव के अन्तर्गत (गीता अध्याय 9 श्लोक 6 में देखना चाहिए।) देखता है, उसके लिए मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिए अदृश्य नहीं होता॥30॥
Translation
For those who see me everywhere and see all things in me, I am never lost, nor are they ever lost to me.
English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda