कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति । अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि ॥
कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति । अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि ॥

एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषत: |
त्वदन्य: संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते || 39||

etan me sanśhayaṁ kṛiṣhṇa chhettum arhasyaśheṣhataḥ
tvad-anyaḥ sanśhayasyāsya chhettā na hyupapadyate

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भावार्थ:

हे श्रीकृष्ण! मेरे इस संशय को सम्पूर्ण रूप से छेदन करने के लिए आप ही योग्य हैं क्योंकि आपके सिवा दूसरा इस संशय का छेदन करने वाला मिलना संभव नहीं है॥39॥

Translation

O Krishna, please dispel this doubt of mine completely, for who other than you can do so?

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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