मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरं । हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ॥
मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरं । हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ॥

मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते सचराचरम् |
हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते || 10||

mayādhyakṣheṇa prakṛitiḥ sūyate sa-charācharam
hetunānena kaunteya jagad viparivartate

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भावार्थ:

हे अर्जुन! मुझ अधिष्ठाता के सकाश से प्रकृति चराचर सहित सर्वजगत को रचती है और इस हेतु से ही यह संसारचक्र घूम रहा है॥10॥

Translation

Working under My direction, this material energy brings into being all animate and inanimate forms, O son of Kunti. For this reason, the material world undergoes the changes (of creation, maintenance, and dissolution).

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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