करुणा भरे कृपा भरे
मेरे बनके बिहारी सरकार
करुणा भरे कृपा भरे
मेरे बनके बिहारी सरकार
जय मंजुल कुंजीं कुंजन की
रास कुञ्ज विचित्र समाज की जय जय
यमुना तट बंसी की
गिरिजेश्वर की गिरिराज की जय जय
ब्रज गोपियाँ गोप कुमारं की
विपिनेश्वर के सुख साज की जय जय
ब्रज के सब संतान के
ब्रज मंडल की ब्रज राज की जय जय
करुणा भरे कृपा भरे
मेरे बनके बिहारी सरकार
रंग प्रेम भरा बरस करके
बरसो की वियोग व्यथा हर ले
मन मेरा मयूर सा नाच उठे
कुछ भावना भाव नया भरदे
कुछ भावना भाव नया भरदे
जलती इस चाहती की ज्वाला मिठे
अपना पद कंज जरा धार दे
हंस दे हंस दे दृग पैर अगर
नट नगर नेक कृपा करदे
करुणा भरे कृपा भरे
मेरे बनके बिहारी सरकार
मेरे बनके बिहारी सरकार
मेरे बनके बिहारी सरकार
नहीं चित्र लाख ना चरित्र सुना
वह सुन्दर श्याम को जाने ही क्या
मन में है बसा मन मोहन जो
वो ध्यान किसी पैर धन ही क्या
जिस बन्दर ने इमली ही चखी
वो स्वाद सुधा पहचाने ही क्या
जिसने हरी प्रेम किया ही नहीं
वह प्रेम की आहो को जाने ही क्या
हे करुणा भरे हो कृपा भरे
मेरे बनके बिहारी सरकार
बोलो बनके बिहारी लाल की जय
बोलो सच्चिदानंद भगवन की जय
जय श्री कृष्णा
जय श्री श्याम