जब सब गए मेरे मोहन परदेश में भजन लिरिक्स
Jabse Gaye Mere Mohan Pardes Me
जब सब गए मेरे मोहन परदेश में भजन लिरिक्स (हिन्दी)
जब सब गए मेरे मोहन परदेश में,
तब से रहती हूँ पगली के वेश में,
कभी नींद न आये,
कभी नैना भर आये,
क्या मानू समझ लीजिए,
मेरे कान्हा को मुझसे मिला दीजिये,
मुझे वंशी की धुन फिर सुना दीजिये।।
गलियां ये सूनी लागे,
सूना अंगनवा,
कान्हा तो मिलते नाही,
आवे सपनवा,
कभी वंशी बजाए,
कभी दहिया चुराए,
क्या मानू समझ लीजिए,
मेरे कान्हा को मुझसे मिला दीजिये,
मुझे वंशी की धुन फिर सुना दीजिये।।
परसो कहा था,
देखो वर्षों न आये,
न ही वो खुद आये,
न संदेश आए,
मैं तो राह निहारु,
कान्हा कान्हा पुकारूँ,
सचिन मुझको मिला दीजिये,
मेरे कान्हा को मुझसे मिला दीजिये,
मुझे वंशी की धुन फिर सुना दीजिये।।
जब सब गए मेरे मोहन परदेश में,
तब से रहती हूँ पगली के वेश में,
कभी नींद न आये,
कभी नैना भर आये,
क्या मानू समझ लीजिए,
मेरे कान्हा को मुझसे मिला दीजिये,
मुझे वंशी की धुन फिर सुना दीजिये।।
गायक / प्रेषक सचिन निगम।
जब सब गए मेरे मोहन परदेश में भजन Video
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