घर श्याम का हो जिसमे, उस मॅन को ढूनडते है जो श्याम पर फिदा हो, उस तंन को ढूनडते है

घर श्याम का हो जिसमे, उस मॅन को ढूनडते है
जो श्याम पर फिदा हो, उस तंन को ढूनडते है
घर श्याम का हो जिसमे, उस मॅन को ढूनडते हैजो बीत जाई प्रीतम, की याद मे विरह मे
जीवन भी ऐसे देखे, जीवन को डुंड थे है
जो बीत जाई प्रीतम, की याद मे विरह मे
जीवन भी ऐसे देखे, जीवन को डुंड थे है सुख शांति मे सुरती मे, माटी मे तथा प्रकृति मे
प्राणू के प्रॅना गति मे, मोहन को डुंड थे है
सुख शांति मे सुरती मे, माटी मे तथा प्रकृति मे
प्राणू के प्रॅना गति मे, मोहन को डुंड थे हैबांधता है जिसमे, आखर भाहा भाम्‍हा मुक्त भंधन
उस प्रेम के अनोके, भधन को ढूंड थे है
बांधता है जिसमे, आखर भाहा भाम्‍हा मुक्त भंधन
उस प्रेम के अनोके, भधन को ढूंड थे है आहो की जो घटा है, धामीं हो दर्द दिल की
रस बिंदु बरसे जिससे, उस धन को डुनध थे है
आहो की जो घटा है, धामीं हो दर्द दिल की
रस बिंदु बरसे जिससे, उस धन को डुनध थे है

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