कहते है सब ग्रंथ हो चाहे गीता या रामायण Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs
कहते है सब ग्रंथ हो चाहे गीता या रामायण Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs

Embark on a spiritual journey with “Kahte Hai Sab Granth Ho Chahe Geeta Ya Ramayan”, a profound and thought-provoking bhajan that delves into the essence of Hindu scriptures. Sung by the renowned artist Shekhar Sen, this devotional masterpiece weaves together the timeless wisdom of the Gita and the Ramayana, reminding us of the eternal truths that lie at the heart of these sacred texts. With its soulful melody and poignant lyrics, this bhajan invites you to reflect on the universal messages of love, compassion, and self-realization that are common to all spiritual traditions.

As you immerse yourself in the serene atmosphere of this bhajan, allow the wisdom of the ages to guide you on your own path of spiritual growth and self-discovery.

कहते है सब ग्रंथ हो चाहे गीता या रामायण लिरिक्स (हिन्दी)

कहते है सब ग्रंथ हो चाहे, गीता या रामायण।

दोहा राम कृष्ण दोऊ एक है,
अंतर नहीं निमेष,
उनके नयन गंभीर है,
इनके चपल विशेष।

कहते है सब ग्रंथ हो चाहे,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण,
राम का ध्यान लगा मन में,
पावन मूरत गढ़ लो,
कृष्ण के पथ पर चलके अपना,
जन्म सफल कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।।

बड़े भाग्य से मिला है हमको,
यह मानव का तन,
परहित परसेवा में करदो,
जीवन का अर्पण,
राम की भांति जन जन के,
कल्याण का व्रत लो,
कृष्ण की भांति नीति धर्म और,
न्याय का पथ लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।।

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हो अन्याय जहां कहीं,
उसका प्रतिकार करो,
सुख अपना बांटो,
दुःख दुजो का स्वीकार करो,
राम में रमके दुःख में भी,
सुख का अनुभव कर लो,
कृष्ण में रमके सुख में मन को,
निरासक्त कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।।

कहते है सब ग्रंथ हो चाहे,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण,
राम का ध्यान लगा मन में,
पावन मूरत गढ़ लो,
कृष्ण के पथ पर चलके अपना,
जन्म सफल कर लो,
कहते हैं सब ग्रंथ हो चाहें,
गीता या रामायण,
शुभ कर्मों से धीरे धीरे,
नर बनता नारायण।।

गायक शेखर सेन।
प्रेषक डॉ सजन सोलंकी।

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Kahte Hain Sab Granth · Shekhar Sen

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