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किरपा करता सांवरिया हर एक दीवाने पे लिरिक्स
Kirpa Karta Sawariya Har Ek Diwane Pe
किरपा करता सांवरिया हर एक दीवाने पे लिरिक्स (हिन्दी)
किरपा करता सांवरिया,
हर एक दीवाने पे,
किसी पे किसी बहाने से,
कहीं पर किसी बहाने से।।
दीन हिन वो भक्त सुदामा,
बिलकुल था कंगाल,
चला सुनाने श्याम सखा को,
अपने दिल का हाल,
श्याम से कुछ भी कह ना पाया,
दिल में रहा मलाल,
लेकिन वो दरबार से लौटा,
होकर मालामाल,
कुटिया बन गई महल,
प्रभु के तंदुल खाने से,
किसी पे किसी बहाने से,
कहीं पर किसी बहाने से।।
करमा ने भक्ति का सबको,
ये ही सबक सिखाया,
प्रेम खिचड़ी का करमा ने,
श्याम को भोग लगाया,
भूखी राह निहारी फिर भी,
सांवरिया ना आया,
याद किया भोली ने फिर,
लहंगे का परदा लगाया,
खाई खिचड़ी भाव से प्रभु ने,
भोग लगाने से,
किसी पे किसी बहाने से,
कहीं पर किसी बहाने से।।
बेटी के घर नरसी पहुंचे,
जब भरने को भात,
साथ में थी भक्तो की टोली,
खुद थे खाली हाथ,
बेटी रोती देख पिता ने,
चूमा उसका माथ,
बोले नरसी श्याम सलोना,
भरेगा तेरा भात,
प्रीत निभाई प्रभु ने उस,
नरसी दीवाने से,
किसी पे किसी बहाने से,
कहीं पर किसी बहाने से।।
किरपा करता सांवरिया,
हर एक दीवाने पे,
किसी पे किसी बहाने से,
कहीं पर किसी बहाने से।।
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