मेरी बिगड़ी किस्मत बन जाए घुमे जो थारी मोरछड़ी

मेरी बिगड़ी किस्मत बन जाए,

दोहा – विपदा उसका क्या बिगाड़ेगी,
जिसका श्याम सहारा,
रे भक्त क्यों घबराता है,
जो ना दे कोई साथ तुम्हारा।

मेरी बिगड़ी किस्मत बन जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी,
भक्तो के संकट टल जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी।।

कोई बैठा है रोगी,
और किसी के पैसो की तंगी,
किसी के आ गई है तेजी,
और किसी के आ गई है मंदी,
बच्चो की गूंजे किलकारी,
लहराए ये जो मोरछड़ी,
भक्तो के संकट टल जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी।।



नीला घोड़ा और मोरछड़ी,
लेकर के सांवरिया सभा में आ,
थारे भक्त उडिके आज तने,
आ कर के सांवरिया दर्श दिखा,
आदि व्याधि सब टल जाए,
भक्तो के संकट टल जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी।।



श्याम तेरी महिमा को,
मैं बिन बुद्धि के क्या गाऊं,
श्याम बहादुर आलूसिंह जी,,
के जैसा ना लिख पाऊं,
सर को झुका के ‘अमित’ खड़ा,
लहरा दे तेरी मोरछड़ी,
भक्तो के संकट टल जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी।।



मेरी बिगड़ी किस्मत बन जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी,
भक्तो के संकट टल जाए,
घुमे जो थारी मोरछड़ी।।

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