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मेट देती दवा दर्द तलवार का चेतावनी भजन लिरिक्स
Met Deti Dawa Dard Talwar Ka
मेट देती दवा दर्द तलवार का चेतावनी भजन लिरिक्स (हिन्दी)
तर्ज: छोड़ दे सारी दुनिया किसी।
मेट देती दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।
दोहा तोल जरा ऐ मेरे साथी,
मुखड़ा पीछे खोल रे,
मिश्री बनके कान में,
तू प्यारे अमृत घोल रे।
मेट देती दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,
हाथ की चोट को भूल जाए कोई,
बात की चोट को भूल सकता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।।
पूत अंधे का जब द्रोपदी ने कहा,
कौरवों के दिल में कटारी लगी,
सबके होते हुए चिर जब वो हरे,
उस सभा में पांचाली बेचारी लगी,
लाज रखी थी आकर के घनश्याम ने,
लाज रखी थी आकर के घनश्याम ने,
पांच पतियों की नारी अभागन बनी,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,
हाथ की चोट को भूल जाए कोई,
बात की चोट को भूल सकता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।।
पांच नंदी के संग में गऊ थी खड़ी,
मैया गिरजा ने हंसकर के ताना दिया,
श्राप दे डाला गिरजा को गौमाता ने,
क्यों हँसे होंगे तेरे भी पांच पिया,
बात सच्ची हुई गिरिजा बन द्रोपदी,
बात सच्ची हुई गिरिजा बन द्रोपदी,
पांच पांडव की द्वापर में रानी बनी,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,
हाथ की चोट को भूल जाए कोई,
बात की चोट को भूल सकता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।।
बात कड़वी कभी मुख से बोलो नहीं,
बात जैसी ना दूजी कोई मार है,
रात दिन जिसकी पीड़ा सताती रहे,
एक ऐसी दुधारी वो तलवार है,
हर्ष कहने के पहले ही तोलो जरा,
हर्ष कहने के पहले ही तोलो जरा,
मुख से निकला दोबारा तो आता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,
हाथ की चोट को भूल जाए कोई,
बात की चोट को भूल सकता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।।
मेट देती दवां दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी,
हाथ की चोट को भूल जाए कोई,
बात की चोट को भूल सकता नहीं,
मेट देतीं दवा दर्द तलवार का,
घाव बोली का फिर भी ना भरता कभी।।
गायक मुकेश बागड़ा जी।
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