म्हारी सांवरे स्यूं लागी प्रीत जूलमण ना छूटै

म्हारी सांवरे स्यूं लागी प्रीत,
जूलमण ना छूटै।



मिलतो जुलतो रे,
पैल्यां चाव स्यूं,
अब कर ली खोटी नीत,
जूलमण ना छूटै।।



पीऊं पीऊं बोलै रे,
मन रो मोरियो,
तन्नै डीकै मन रा मीत,
जूलमण ना छूटै।।



पीड़ पराई रे,
दूजो कांईं जाणै,
म्हां रै हिवड़ै रा संगीत,
जूलमण ना छूटै।।



प्रेम गली छै रे,
रसिया सांकली,
कांईं जाणूं इण री रीत,
जूलमण ना छूटै।।



नेणां मांही रे,
बस गयो सांवरो,
म्हां नै नींद ना आवै मीत,
जूलमण ना छूटै।



“बाबा श्याम थां रै नाम री,
आ धुन मीठी लागी,
धुन मीठी लागी,
म्हां रै हिवड़ै नै भाग्यी,
बाबा श्याम थां रै नाम री,
आ धुन मीठी लागी”



क्यों दिण घालै रे,
आ ज्या तावलो,
म्हां री हार हुई थां री जीत,
जूलमण ना छूटै।



चाकर थां रो रे,
‘शिव” नै जाण कै,
थूं मत होज्ये विपरीत,
जूलमण ना छूटै।



म्हारी सांवरे स्यूं लागी प्रीत,
जूलमण ना छूटै।।

See also  Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 26

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