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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 65

मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु |मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे || man-manā bhava mad-bhakto mad-yājī māṁ namaskurumām evaiṣhyasi satyaṁ te pratijāne priyo ‘si me भावार्थ: हे अर्जुन! तू मुझमें मनवाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो और मुझको प्रणाम कर। ऐसा करने से तू मुझे ही प्राप्त होगा, यह मैं […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 66

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज |अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: || sarva-dharmān parityajya mām ekaṁ śharaṇaṁ vrajaahaṁ tvāṁ sarva-pāpebhyo mokṣhayiṣhyāmi mā śhuchaḥ भावार्थ: संपूर्ण धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण (इसी अध्याय के श्लोक 62 की टिप्पणी में शरण का भाव देखना […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 67

इदं ते नातपस्काय नाभक्ताय कदाचन |न चाशुश्रूषवे वाच्यं न च मां योऽभ्यसूयति || idaṁ te nātapaskyāya nābhaktāya kadāchanana chāśhuśhruṣhave vāchyaṁ na cha māṁ yo ‘bhyasūtayi भावार्थ: भावार्थ : तुझे यह गीत रूप रहस्यमय उपदेश किसी भी काल में न तो तपरहित मनुष्य से कहना चाहिए, न भक्ति-(वेद, शास्त्र और परमेश्वर तथा महात्मा और गुरुजनों में […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 68

य इदं परमं गुह्यं मद्भक्तेष्वभिधास्यति |भक्तिं मयि परां कृत्वा मामेवैष्यत्यसंशय: ya idaṁ paramaṁ guhyaṁ mad-bhakteṣhv abhidhāsyatibhaktiṁ mayi parāṁ kṛitvā mām evaiṣhyaty asanśhayaḥ भावार्थ: जो पुरुष मुझमें परम प्रेम करके इस परम रहस्ययुक्त गीताशास्त्र को मेरे भक्तों में कहेगा, वह मुझको ही प्राप्त होगा- इसमें कोई संदेह नहीं है॥68॥ Translation Those, who teach this most confidential […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 69

न च तस्मान्मनुष्येषु कश्चिन्मे प्रियकृत्तम: |भविता न च मे तस्मादन्य: प्रियतरो भुवि na cha tasmān manuṣhyeṣhu kaśhchin me priya-kṛittamaḥbhavitā na cha me tasmād anyaḥ priyataro bhuvi भावार्थ: उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है तथा पृथ्वीभर में उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं॥69॥ Translation […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 70

अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयो: |ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्ट: स्यामिति मे मति: || adhyeṣhyate cha ya imaṁ dharmyaṁ saṁvādam āvayoḥjñāna-yajñena tenāham iṣhṭaḥ syām iti me matiḥ भावार्थ: जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीताशास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञानयज्ञ (गीता अध्याय 4 श्लोक 33 का अर्थ देखना चाहिए।) से पूजित होऊँगा- […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 71

श्रद्धावाननसूयश्च शृणुयादपि यो नर: |सोऽपि मुक्त: शुभाँल्लोकान्प्राप्नुयात्पुण्यकर्मणाम् || śhraddhāvān anasūyaśh cha śhṛiṇuyād api yo naraḥso ‘pi muktaḥ śhubhāl lokān prāpnuyāt puṇya-karmaṇām भावार्थ: जो मनुष्य श्रद्धायुक्त और दोषदृष्टि से रहित होकर इस गीताशास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा॥71॥ Translation Even those […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 72

कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ त्वयैकाग्रेण चेतसा |कच्चिदज्ञानसम्मोह: प्रनष्टस्ते धनञ्जय || kachchid etach chhrutaṁ pārtha tvayaikāgreṇa chetasākachchid ajñāna-sammohaḥ pranaṣhṭas te dhanañjaya भावार्थ: हे पार्थ! क्या इस (गीताशास्त्र) को तूने एकाग्रचित्त से श्रवण किया? और हे धनञ्जय! क्या तेरा अज्ञानजनित मोह नष्ट हो गया?॥72॥ Translation O Arjun, have you heard me with a concentrated mind? Have your ignorance and […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 73

अर्जुन उवाच |नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत |स्थितोऽस्मि गतसन्देह: करिष्ये वचनं तव || arjuna uvāchanaṣhṭo mohaḥ smṛitir labdhā tvat-prasādān mayāchyutasthito ‘smi gata-sandehaḥ kariṣhye vachanaṁ tava भावार्थ: अर्जुन बोले- हे अच्युत! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशयरहित होकर स्थिर हूँ, अतः आपकी आज्ञा का पालन […]

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Bhagavad Gita: Chapter 18, Verse 74

सञ्जय उवाच |इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मन: |संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम् sañjaya uvāchaity ahaṁ vāsudevasya pārthasya cha mahātmanaḥsaṁvādam imam aśhrauṣham adbhutaṁ roma-harṣhaṇam भावार्थ: संजय बोले- इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अद्‍भुत रहस्ययुक्त, रोमांचकारक संवाद को सुना॥74॥ Translation Sanjay said: Thus, have I heard this wonderful conversation between Shree Krishna, the son […]