वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासव: |इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना || 22|| vedānāṁ sāma-vedo ’smi devānām asmi vāsavaḥindriyāṇāṁ manaśh chāsmi bhūtānām asmi chetanā Audio भावार्थ: मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में इंद्र हूँ, इंद्रियों में मन हूँ और भूत प्राणियों की चेतना अर्थात् जीवन-शक्ति हूँ॥22॥ Translation I am the Sāma Veda amongst the Vedas, and Indra […]
News
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 21
आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान् |मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी || 21|| ādityānām ahaṁ viṣhṇur jyotiṣhāṁ ravir anśhumānmarīchir marutām asmi nakṣhatrāṇām ahaṁ śhaśhī Audio भावार्थ: मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु और ज्योतियों में किरणों वाला सूर्य हूँ तथा मैं उनचास वायुदेवताओं का तेज और नक्षत्रों का अधिपति चंद्रमा हूँ॥21 Translation Amongst the twelve sons of Aditi I […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 20
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित: |अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च || 20|| aham ātmā guḍākeśha sarva-bhūtāśhaya-sthitaḥaham ādiśh cha madhyaṁ cha bhūtānām anta eva cha Audio भावार्थ: हे अर्जुन! मैं सब भूतों के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा संपूर्ण भूतों का आदि, मध्य और अंत भी मैं ही हूँ॥20॥ Translation O Arjun, I am seated […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 19
श्रीभगवानुवाच |हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतय: |प्राधान्यत: कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ||19|| śhrī bhagavān uvāchahanta te kathayiṣhyāmi divyā hyātma-vibhūtayaḥprādhānyataḥ kuru-śhreṣhṭha nāstyanto vistarasya me Audio भावार्थ: श्री भगवान बोले- हे कुरुश्रेष्ठ! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिए प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अंत नहीं है॥19॥ Translation The Blessed Lord spoke: […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 18
विस्तरेणात्मनो योगं विभूतिं च जनार्दन |भूय: कथय तृप्तिर्हि शृण्वतो नास्ति मेऽमृतम् || 18|| विस्तरेणात्मनो योगं विभूतिं च जनार्दन |भूय: कथय तृप्तिर्हि शृण्वतो नास्ति मेऽमृतम् || 18|| Audio भावार्थ: हे जनार्दन! अपनी योगशक्ति को और विभूति को फिर भी विस्तारपूर्वक कहिए, क्योंकि आपके अमृतमय वचनों को सुनते हुए मेरी तृप्ति नहीं होती अर्थात् सुनने की उत्कंठा […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 17
कथं विद्यामहं योगिंस्त्वां सदा परिचिन्तयन् |केषु केषु च भावेषु चिन्त्योऽसि भगवन्मया || 17|| kathaṁ vidyām ahaṁ yogins tvāṁ sadā parichintayankeṣhu keṣhu cha bhāveṣhu chintyo ’si bhagavan mayā Audio भावार्थ: हे योगेश्वर! मैं किस प्रकार निरंतर चिंतन करता हुआ आपको जानूँ और हे भगवन्! आप किन-किन भावों में मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं?॥17॥ Translation O […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 16
वक्तुमर्हस्यशेषेण दिव्या ह्यात्मविभूतय: |याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि || 16||} vaktum arhasyaśheṣheṇa divyā hyātma-vibhūtayaḥyābhir vibhūtibhir lokān imāṁs tvaṁ vyāpya tiṣhṭhasi Audio भावार्थ: इसलिए आप ही उन अपनी दिव्य विभूतियों को संपूर्णता से कहने में समर्थ हैं, जिन विभूतियों द्वारा आप इन सब लोकों को व्याप्त करके स्थित हैं॥16॥ Translation Please describe to me your divine opulences, by […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 15
स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम |भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते || 15|| swayam evātmanātmānaṁ vettha tvaṁ puruṣhottamabhūta-bhāvana bhūteśha deva-deva jagat-pate Audio भावार्थ: हे भूतों को उत्पन्न करने वाले! हे भूतों के ईश्वर! हे देवों के देव! हे जगत् के स्वामी! हे पुरुषोत्तम! आप स्वयं ही अपने से अपने को जानते हैं॥15॥ Translation Indeed, you alone know yourself […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 14
सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव |न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवा: || 14|| sarvam etad ṛitaṁ manye yan māṁ vadasi keśhavana hi te bhagavan vyaktiṁ vidur devā na dānavāḥ Audio भावार्थ: हे केशव! जो कुछ भी मेरे प्रति आप कहते हैं, इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन्! आपके लीलामय (गीता अध्याय 4 […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 13
आहुस्त्वामृषय: सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा |असितो देवलो व्यास: स्वयं चैव ब्रवीषि मे || 13|| āhus tvām ṛiṣhayaḥ sarve devarṣhir nāradas tathāasito devalo vyāsaḥ svayaṁ chaiva bravīṣhi me Audio भावार्थ: अजन्मा और सर्वव्यापी कहते हैं। वैसे ही देवर्षि नारद तथा असित और देवल ऋषि तथा महर्षि व्यास भी कहते हैं और आप भी मेरे प्रति कहते हैं॥12॥ Translation […]