यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम् |असम्मूढ: स मर्त्येषु सर्वपापै: प्रमुच्यते || 3|| yo māmajam anādiṁ cha vetti loka-maheśhvaramasammūḍhaḥ sa martyeṣhu sarva-pāpaiḥ pramuchyate Audio भावार्थ: जो मुझको अजन्मा अर्थात् वास्तव में जन्मरहित, अनादि (अनादि उसको कहते हैं जो आदि रहित हो एवं सबका कारण हो) और लोकों का महान् ईश्वर तत्त्व से जानता है, वह मनुष्यों […]
News
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 2
न मे विदु: सुरगणा: प्रभवं न महर्षय: |अहमादिर्हि देवानां महर्षीणां च सर्वश: || 2|| na me viduḥ sura-gaṇāḥ prabhavaṁ na maharṣhayaḥaham ādir hi devānāṁ maharṣhīṇāṁ cha sarvaśhaḥ Audio भावार्थ: मेरी उत्पत्ति को अर्थात् लीला से प्रकट होने को न देवता लोग जानते हैं और न महर्षिजन ही जानते हैं, क्योंकि मैं सब प्रकार से देवताओं […]
Bhagavad Gita: Chapter 10, Verse 1
श्रीभगवानुवाच |भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वच: |यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया || 1|| śhrī bhagavān uvāchabhūya eva mahā-bāho śhṛiṇu me paramaṁ vachaḥyatte ’haṁ prīyamāṇāya vakṣhyāmi hita-kāmyayā Audio भावार्थ: श्री भगवान् बोले- हे महाबाहो! फिर भी मेरे परम रहस्य और प्रभावयुक्त वचन को सुन, जिसे मैं तुझे अतिशय प्रेम रखने वाले के लिए हित की […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 34
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु |मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण: || 34|| man-manā bhava mad-bhakto mad-yājī māṁ namaskurumām evaiṣhyasi yuktvaivam ātmānaṁ mat-parāyaṇaḥ Audio भावार्थ: मुझमें मन वाला हो, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन करने वाला हो, मुझको प्रणाम कर। इस प्रकार आत्मा को मुझमें नियुक्त करके मेरे परायण होकर तू मुझको ही प्राप्त होगा॥34॥ Translation Always […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 33
किं पुनर्ब्राह्मणा: पुण्या भक्ता राजर्षयस्तथा |अनित्यमसुखं लोकमिमं प्राप्य भजस्व माम् || 33|| kiṁ punar brāhmaṇāḥ puṇyā bhaktā rājarṣhayas tathāanityam asukhaṁ lokam imaṁ prāpya bhajasva mām Audio भावार्थ: फिर इसमें कहना ही क्या है, जो पुण्यशील ब्राह्मण था राजर्षि भक्तजन मेरी शरण होकर परम गति को प्राप्त होते हैं। इसलिए तू सुखरहित और क्षणभंगुर इस मनुष्य […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 32
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्यु: पापयोनय: |स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् || 32|| māṁ hi pārtha vyapāśhritya ye ’pi syuḥ pāpa-yonayaḥstriyo vaiśhyās tathā śhūdrās te ’pi yānti parāṁ gatim Audio भावार्थ: हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 31
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छान्तिं निगच्छति |कौन्तेय प्रतिजानीहि न मे भक्त: प्रणश्यति || 31|| kṣhipraṁ bhavati dharmātmā śhaśhvach-chhāntiṁ nigachchhatikaunteya pratijānīhi na me bhaktaḥ praṇaśhyati Audio भावार्थ: : वह शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है और सदा रहने वाली परम शान्ति को प्राप्त होता है। हे अर्जुन! तू निश्चयपूर्वक सत्य जान कि मेरा भक्त नष्ट नहीं होता॥31॥ […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 30
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक् |साधुरेव स मन्तव्य: सम्यग्व्यवसितो हि स: || 30|| api chet su-durāchāro bhajate mām ananya-bhāksādhur eva sa mantavyaḥ samyag vyavasito hi saḥ Audio भावार्थ: यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही मानने योग्य है, क्योंकि वह यथार्थ निश्चय वाला है। अर्थात् […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 29
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रिय: |ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् || 29|| samo ’haṁ sarva-bhūteṣhu na me dveṣhyo ’sti na priyaḥye bhajanti tu māṁ bhaktyā mayi te teṣhu chāpyaham Audio भावार्थ: यदि कोई अतिशय दुराचारी भी अनन्य भाव से मेरा भक्त होकर मुझको भजता है तो वह साधु ही […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 28
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनै: |संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि || 28|| śhubhāśhubha-phalair evaṁ mokṣhyase karma-bandhanaiḥsannyāsa-yoga-yuktātmā vimukto mām upaiṣhyasi Audio भावार्थ: इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान के अर्पण होते हैं- ऐसे संन्यासयोग से युक्त चित्तवाला तू शुभाशुभ फलरूप कर्मबंधन से मुक्त हो जाएगा और उनसे मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा। ॥28॥ Translation By dedicating all your […]