पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामह: |वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च || 17|| pitāham asya jagato mātā dhātā pitāmahaḥvedyaṁ pavitram oṁkāra ṛik sāma yajur eva cha Audio भावार्थ: इस संपूर्ण जगत् का धाता अर्थात् धारण करने वाला एवं कर्मों के फल को देने वाला, पिता, माता, पितामह, जानने योग्य, (गीता अध्याय 13 श्लोक 12 से 17 […]
News
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 16
अहं क्रतुरहं यज्ञ: स्वधाहमहमौषधम् |मन्त्रोऽहमहमेवाज्यमहमग्निरहं हुतम् || 16|| ahaṁ kratur ahaṁ yajñaḥ svadhāham aham auṣhadhammantro ’ham aham evājyam aham agnir ahaṁ hutam Audio भावार्थ: क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ, मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूँ॥16॥ Translation It is […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 15
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते |एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम् || 15|| jñāna-yajñena chāpyanye yajanto mām upāsateekatvena pṛithaktvena bahudhā viśhvato-mukham Audio भावार्थ: दूसरे ज्ञानयोगी मुझ निर्गुण-निराकार ब्रह्म का ज्ञानयज्ञ द्वारा अभिन्नभाव से पूजन करते हुए भी मेरी उपासना करते हैं और दूसरे मनुष्य बहुत प्रकार से स्थित मुझ विराट स्वरूप परमेश्वर की पृथक भाव से उपासना करते […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 14
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रता: |नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते || 14|| satataṁ kīrtayanto māṁ yatantaśh cha dṛiḍha-vratāḥnamasyantaśh cha māṁ bhaktyā nitya-yuktā upāsate Audio भावार्थ: वे दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 13
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिता: |भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम् || 13|| mahātmānas tu māṁ pārtha daivīṁ prakṛitim āśhritāḥbhajantyananya-manaso jñātvā bhūtādim avyayam Audio भावार्थ: परंतु हे कुन्तीपुत्र! दैवी प्रकृति के (इसका विस्तारपूर्वक वर्णन गीता अध्याय 16 श्लोक 1 से 3 तक में देखना चाहिए) आश्रित महात्माजन मुझको सब भूतों का सनातन कारण और नाशरहित अक्षरस्वरूप जानकर अनन्य […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 12
मोघाशा मोघकर्माणो मोघज्ञाना विचेतस: |राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिता: || 12|| moghāśhā mogha-karmāṇo mogha-jñānā vichetasaḥrākṣhasīm āsurīṁ chaiva prakṛitiṁ mohinīṁ śhritāḥ Audio भावार्थ: वे व्यर्थ आशा, व्यर्थ कर्म और व्यर्थ ज्ञान वाले विक्षिप्तचित्त अज्ञानीजन राक्षसी, आसुरी और मोहिनी प्रकृति को (जिसको आसुरी संपदा के नाम से विस्तारपूर्वक भगवान ने गीता अध्याय 16 श्लोक 4 तथा श्लोक […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 11
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम् |परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् || 11|| avajānanti māṁ mūḍhā mānuṣhīṁ tanum āśhritamparaṁ bhāvam ajānanto mama bhūta-maheśhvaram Audio भावार्थ: मेरे परमभाव को (गीता अध्याय 7 श्लोक 24 में देखना चाहिए) न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते हैं […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 10
मयाध्यक्षेण प्रकृति: सूयते सचराचरम् |हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते || 10|| mayādhyakṣheṇa prakṛitiḥ sūyate sa-charācharamhetunānena kaunteya jagad viparivartate Audio भावार्थ: हे अर्जुन! मुझ अधिष्ठाता के सकाश से प्रकृति चराचर सहित सर्वजगत को रचती है और इस हेतु से ही यह संसारचक्र घूम रहा है॥10॥ Translation Working under My direction, this material energy brings into being all animate […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 9
न च मां तानि कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय |उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मसु || 9|| na cha māṁ tāni karmāṇi nibadhnanti dhanañjayaudāsīna-vad āsīnam asaktaṁ teṣhu karmasu Audio भावार्थ: हे अर्जुन! उन कर्मों में आसक्तिरहित और उदासीन के सदृश (जिसके संपूर्ण कार्य कर्तृत्व भाव के बिना अपने आप सत्ता मात्र ही होते हैं उसका नाम ‘उदासीन के सदृश’ है।) […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 8
सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् |कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् || 7|| sarva-bhūtāni kaunteya prakṛitiṁ yānti māmikāmkalpa-kṣhaye punas tāni kalpādau visṛijāmyaham Audio भावार्थ: अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतंत्र हुए इस संपूर्ण भूतसमुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ॥8॥ Translation O son of Kunti, I manifest them again. Presiding over […]