सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम् |कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् || 7|| sarva-bhūtāni kaunteya prakṛitiṁ yānti māmikāmkalpa-kṣhaye punas tāni kalpādau visṛijāmyaham Audio भावार्थ: हे अर्जुन! कल्पों के अन्त में सब भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् प्रकृति में लीन होते हैं और कल्पों के आदि में उनको मैं फिर रचता हूँ॥7॥ Translation At the […]
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Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 6
यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् |तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय || 6|| yathākāśha-sthito nityaṁ vāyuḥ sarvatra-go mahāntathā sarvāṇi bhūtāni mat-sthānītyupadhāraya Audio भावार्थ: जैसे आकाश से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला महान् वायु सदा आकाश में ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्प द्वारा उत्पन्न होने से संपूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं, ऐसा जान॥6॥ Translation Know that as […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 5
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् |भूतभृन्न च भूतस्थो ममात्मा भूतभावन: || 5|| na cha mat-sthāni bhūtāni paśhya me yogam aiśhwarambhūta-bhṛin na cha bhūta-stho mamātmā bhūta-bhāvanaḥ Audio भावार्थ: वे सब भूत मुझमें स्थित नहीं हैं, किंतु मेरी ईश्वरीय योगशक्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भी […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 4
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना |मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थित: || 4|| mayā tatam idaṁ sarvaṁ jagad avyakta-mūrtināmat-sthāni sarva-bhūtāni na chāhaṁ teṣhvavasthitaḥ Audio भावार्थ: मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत् जल से बर्फ के सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अंतर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ॥4॥ […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 3
अश्रद्दधाना: पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप |अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि || 3|| aśhraddadhānāḥ puruṣhā dharmasyāsya parantapaaprāpya māṁ nivartante mṛityu-samsāra-vartmani Audio भावार्थ: हे परंतप! इस उपयुक्त धर्म में श्रद्धारहित पुरुष मुझको न प्राप्त होकर मृत्युरूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं॥3॥मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना । Translation People who have no faith in this dharma are unable to […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 2
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् |प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् || 2|| rāja-vidyā rāja-guhyaṁ pavitram idam uttamampratyakṣhāvagamaṁ dharmyaṁ su-sukhaṁ kartum avyayam Audio भावार्थ: यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है॥2॥ Translation This knowledge is the king of sciences […]
Bhagavad Gita: Chapter 9, Verse 1
श्रीभगवानुवाच |इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे |ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् || 1|| śhrī bhagavān uvāchaidaṁ tu te guhyatamaṁ pravakṣhyāmyanasūyavejñānaṁ vijñāna-sahitaṁ yaj jñātvā mokṣhyase ’śhubhāt Audio भावार्थ: श्री भगवान बोले- तुझ दोषदृष्टिरहित भक्त के लिए इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुनः भली भाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दुःखरूप संसार से मुक्त हो जाएगा॥1॥ Translation […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 28
वेदेषु यज्ञेषु तप:सु चैवदानेषु यत्पुण्यफलं प्रदिष्टम् |अत्येति तत्सर्वमिदं विदित्वायोगी परं स्थानमुपैति चाद्यम् || 28|| vedeṣhu yajñeṣhu tapaḥsu chaivadāneṣhu yat puṇya-phalaṁ pradiṣhṭamatyeti tat sarvam idaṁ viditvāyogī paraṁ sthānam upaiti chādyam Audio भावार्थ: योगी पुरुष इस रहस्य को तत्त्व से जानकर वेदों के पढ़ने में तथा यज्ञ, तप और दानादि के करने में जो पुण्यफल कहा है, […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 27
नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन |तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन || 27|| naite sṛitī pārtha jānan yogī muhyati kaśhchanatasmāt sarveṣhu kāleṣhu yoga-yukto bhavārjuna Audio भावार्थ: हे पार्थ! इस प्रकार इन दोनों मार्गों को तत्त्व से जानकर कोई भी योगी मोहित नहीं होता। इस कारण हे अर्जुन! तू सब काल में समबुद्धि रूप से योग से […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 26
शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगत: शाश्वते मते |एकया यात्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुन: || 26|| śhukla-kṛiṣhṇe gatī hyete jagataḥ śhāśhvate mateekayā yātyanāvṛittim anyayāvartate punaḥ Audio भावार्थ: क्योंकि जगत के ये दो प्रकार के- शुक्ल और कृष्ण अर्थात देवयान और पितृयान मार्ग सनातन माने गए हैं। इनमें एक द्वारा गया हुआ (अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 24 के अनुसार अर्चिमार्ग […]