अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् |य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: || 5|| anta-kāle cha mām eva smaran muktvā kalevaramyaḥ prayāti sa mad-bhāvaṁ yāti nāstyatra sanśhayaḥ Audio भावार्थ: जो पुरुष अंतकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात स्वरूप को प्राप्त होता है- इसमें कुछ […]
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Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 4
अधिभूतं क्षरो भाव: पुरुषश्चाधिदैवतम् |अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर || 4|| adhibhūtaṁ kṣharo bhāvaḥ puruṣhaśh chādhidaivatamadhiyajño ’ham evātra dehe deha-bhṛitāṁ vara Audio भावार्थ: उत्पत्ति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष (जिसको शास्त्रों में सूत्रात्मा, हिरण्यगर्भ, प्रजापति, ब्रह्मा इत्यादि नामों से कहा गया है) अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन! इस शरीर में […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 3
श्रीभगवानुवाच |अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते |भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: || 3|| śhrī bhagavān uvāchaakṣharaṁ brahma paramaṁ svabhāvo ’dhyātmam uchyatebhūta-bhāvodbhava-karo visargaḥ karma-sanjñitaḥ Audio भावार्थ: श्री भगवान ने कहा- परम अक्षर ‘ब्रह्म’ है, अपना स्वरूप अर्थात जीवात्मा ‘अध्यात्म’ नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह ‘कर्म’ नाम से […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 2
अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन |प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: || 2|| adhiyajñaḥ kathaṁ ko ’tra dehe ’smin madhusūdanaprayāṇa-kāle cha kathaṁ jñeyo ’si niyatātmabhiḥ Audio भावार्थ: : हे मधुसूदन! यहाँ अधियज्ञ कौन है? और वह इस शरीर में कैसे है? तथा युक्त चित्त वाले पुरुषों द्वारा अंत समय में आप किस प्रकार जानने में आते हैं॥2॥ […]
Bhagavad Gita: Chapter 8, Verse 1
अर्जुन उवाच |किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम |अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते || 1|| arjuna uvāchakiṁ tad brahma kim adhyātmaṁ kiṁ karma puruṣhottamaadhibhūtaṁ cha kiṁ proktam adhidaivaṁ kim uchyate Audio भावार्थ: अर्जुन ने कहा- हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और […]
Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 30
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु: |प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस: || 30|| sādhibhūtādhidaivaṁ māṁ sādhiyajñaṁ cha ye viduḥprayāṇa-kāle ’pi cha māṁ te vidur yukta-chetasaḥ Audio भावार्थ: जो पुरुष अधिभूत और अधिदैव सहित तथा अधियज्ञ सहित (सबका आत्मरूप) मुझे अन्तकाल में भी जानते हैं, वे युक्तचित्तवाले पुरुष मुझे जानते हैं अर्थात प्राप्त हो जाते हैं॥30॥ […]
Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 29
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये |ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम् || 29|| jarā-maraṇa-mokṣhāya mām āśhritya yatanti yete brahma tadviduḥ kṛitsnam adhyātmaṁ karma chākhilam Audio भावार्थ: जो मेरे शरण होकर जरा और मरण से छूटने के लिए यत्न करते हैं, वे पुरुष उस ब्रह्म को, सम्पूर्ण अध्यात्म को, सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं॥29॥ Translation Those who […]
Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 28
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् |ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता: || 28|| yeṣhāṁ tvanta-gataṁ pāpaṁ janānāṁ puṇya-karmaṇāmte dvandva-moha-nirmuktā bhajante māṁ dṛiḍha-vratāḥ Audio भावार्थ: परन्तु निष्काम भाव से श्रेष्ठ कर्मों का आचरण करने वाले जिन पुरुषों का पाप नष्ट हो गया है, वे राग-द्वेषजनित द्वन्द्व रूप मोह से मुक्त दृढ़निश्चयी भक्त मुझको सब प्रकार से भजते […]
Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 27
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत |सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप || 27|| ichchhā-dveṣha-samutthena dvandva-mohena bhāratasarva-bhūtāni sammohaṁ sarge yānti parantapa Audio भावार्थ: हे भरतवंशी अर्जुन! संसार में इच्छा और द्वेष से उत्पन्न सुख-दुःखादि द्वंद्वरूप मोह से सम्पूर्ण प्राणी अत्यन्त अज्ञता को प्राप्त हो रहे हैं॥27॥ Translation O descendant of Bharat, the dualities of desire and aversion arise from […]
Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 26
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन |भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन || 26|| vedāhaṁ samatītāni vartamānāni chārjunabhaviṣhyāṇi cha bhūtāni māṁ tu veda na kaśhchana Audio भावार्थ: हे अर्जुन! पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा आगे होने वाले सब भूतों को मैं जानता हूँ, परन्तु मुझको कोई भी श्रद्धा-भक्तिरहित पुरुष नहीं जानता॥26॥ […]