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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 25

नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत: |मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम् || 25| nāhaṁ prakāśhaḥ sarvasya yoga-māyā-samāvṛitaḥmūḍho ’yaṁ nābhijānāti loko mām ajam avyayam Audio भावार्थ: अपनी योगमाया से छिपा हुआ मैं सबके प्रत्यक्ष नहीं होता, इसलिए यह अज्ञानी जनसमुदाय मुझ जन्मरहित अविनाशी परमेश्वर को नहीं जानता अर्थात मुझको जन्मने-मरने वाला समझता है॥25 Translation I am not manifest to […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 24

अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धय: |परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् || 24|| avyaktaṁ vyaktim āpannaṁ manyante mām abuddhayaḥparaṁ bhāvam ajānanto mamāvyayam anuttamam Audio भावार्थ: बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्दघन परमात्मा को मनुष्य की भाँति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं॥24॥ Translation The less intelligent think […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 23

अन्तवत्तु फलं तेषां तद्भवत्यल्पमेधसाम् |देवान्देवयजो यान्ति मद्भक्ता यान्ति मामपि || 23|| antavat tu phalaṁ teṣhāṁ tad bhavatyalpa-medhasāmdevān deva-yajo yānti mad-bhaktā yānti mām api Audio भावार्थ: : परन्तु उन अल्प बुद्धिवालों का वह फल नाशवान है तथा वे देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त चाहे जैसे ही भजें, अन्त में […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 22

स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते |लभते च तत: कामान्मयैव विहितान्हि तान् || 22|| sa tayā śhraddhayā yuktas tasyārādhanam īhatelabhate cha tataḥ kāmān mayaiva vihitān hi tān Audio भावार्थ: वह पुरुष उस श्रद्धा से युक्त होकर उस देवता का पूजन करता है और उस देवता से मेरे द्वारा ही विधान किए हुए उन इच्छित भोगों को निःसंदेह […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 21

यो यो यां यां तनुं भक्त: श्रद्धयार्चितुमिच्छति |तस्य तस्याचलां श्रद्धां तामेव विदधाम्यहम् || 21|| yo yo yāṁ yāṁ tanuṁ bhaktaḥ śhraddhayārchitum ichchhatitasya tasyāchalāṁ śhraddhāṁ tām eva vidadhāmyaham Audio भावार्थ: जो-जो सकाम भक्त जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूँ॥21॥ […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 20

कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञाना: प्रपद्यन्तेऽन्यदेवता: |तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियता: स्वया || 20|| kāmais tais tair hṛita-jñānāḥ prapadyante ’nya-devatāḥtaṁ taṁ niyamam āsthāya prakṛityā niyatāḥ svayā Audio भावार्थ: उन-उन भोगों की कामना द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है, वे लोग अपने स्वभाव से प्रेरित होकर उस-उस नियम को धारण करके अन्य देवताओं को भजते हैं अर्थात पूजते हैं॥20॥ […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 19

बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते |वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ: || 19|| bahūnāṁ janmanām ante jñānavān māṁ prapadyatevāsudevaḥ sarvam iti sa mahātmā su-durlabhaḥ Audio भावार्थ: बहुत जन्मों के अंत के जन्म में तत्व ज्ञान को प्राप्त पुरुष, सब कुछ वासुदेव ही हैं- इस प्रकार मुझको भजता है, वह महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है॥19॥ Translation After many births […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 18

उदारा: सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम् |आस्थित: स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम् || 18|| udārāḥ sarva evaite jñānī tvātmaiva me matamāsthitaḥ sa hi yuktātmā mām evānuttamāṁ gatim Audio भावार्थ: ये सभी उदार हैं, परन्तु ज्ञानी तो साक्षात्‌ मेरा स्वरूप ही है- ऐसा मेरा मत है क्योंकि वह मद्गत मन-बुद्धिवाला ज्ञानी भक्त अति उत्तम गतिस्वरूप […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 17

तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्तिर्विशिष्यते |प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रिय: || 17|| teṣhāṁ jñānī nitya-yukta eka-bhaktir viśhiṣhyatepriyo hi jñānino ’tyartham ahaṁ sa cha mama priyaḥ Audio भावार्थ: उनमें नित्य मुझमें एकीभाव से स्थित अनन्य प्रेमभक्ति वाला ज्ञानी भक्त अति उत्तम है क्योंकि मुझको तत्व से जानने वाले ज्ञानी को मैं अत्यन्त प्रिय हूँ और […]

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Bhagavad Gita: Chapter 7, Verse 16

चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन |आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ || 16|| chatur-vidhā bhajante māṁ janāḥ sukṛitino ’rjunaārto jijñāsur arthārthī jñānī cha bharatarṣhabha Audio भावार्थ: हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ अर्जुन! उत्तम कर्म करने वाले अर्थार्थी (सांसारिक पदार्थों के लिए भजने वाला), आर्त (संकटनिवारण के लिए भजने वाला) जिज्ञासु (मेरे को यथार्थ रूप से जानने की […]