यं लब्ध्वा चापरं लाभं मन्यते नाधिकं तत: |यस्मिन्स्थितो न दु:खेन गुरुणापि विचाल्यते || 22|| yaṁ labdhvā chāparaṁ lābhaṁ manyate nādhikaṁ tataḥyasmin sthito na duḥkhena guruṇāpi vichālyate Audio भावार्थ: परमात्मा की प्राप्ति रूप जिस लाभ को प्राप्त होकर उसे अधिक दूसरा कुछ भी लाभ नहीं मानता और परमात्मा प्राप्ति रूप जिस अवस्था में स्थित योगी बड़े […]
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Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 21
सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम् |वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्वत: || 21|| sukham ātyantikaṁ yat tad buddhi-grāhyam atīndriyamvetti yatra na chaivāyaṁ sthitaśh chalati tattvataḥ Audio भावार्थ: इन्द्रियों से अतीत, केवल शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा ग्रहण करने योग्य जो अनन्त आनन्द है, उसको जिस अवस्था में अनुभव करता है, और जिस अवस्था में स्थित यह योगी परमात्मा […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 20
यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया |यत्र चैवात्मनात्मानं पश्यन्नात्मनि तुष्यति || 20|| yatroparamate chittaṁ niruddhaṁ yoga-sevayāyatra chaivātmanātmānaṁ paśhyann ātmani tuṣhyati Audio भावार्थ: योग के अभ्यास से निरुद्ध चित्त जिस अवस्था में उपराम हो जाता है और जिस अवस्था में परमात्मा के ध्यान से शुद्ध हुई सूक्ष्म बुद्धि द्वारा परमात्मा को साक्षात करता हुआ सच्चिदानन्दघन परमात्मा में ही […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 19
यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता |योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मन: || 19|| yathā dīpo nivāta-stho neṅgate sopamā smṛitāyogino yata-chittasya yuñjato yogam ātmanaḥ Audio भावार्थ: जिस प्रकार वायुरहित स्थान में स्थित दीपक चलायमान नहीं होता, वैसी ही उपमा परमात्मा के ध्यान में लगे हुए योगी के जीते हुए चित्त की कही गई है॥19॥ Translation Just as […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 18
यदा विनियतं चित्तमात्मन्येवावतिष्ठते |नि:स्पृह: सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा || 18|| yadā viniyataṁ chittam ātmanyevāvatiṣhṭhateniḥspṛihaḥ sarva-kāmebhyo yukta ityuchyate tadā Audio भावार्थ: अत्यन्त वश में किया हुआ चित्त जिस काल में परमात्मा में ही भलीभाँति स्थित हो जाता है, उस काल में सम्पूर्ण भोगों से स्पृहारहित पुरुष योगयुक्त है, ऐसा कहा जाता है॥18॥ Translation With thorough discipline, […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 17
युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु |युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा || 17|| yuktāhāra-vihārasya yukta-cheṣhṭasya karmasuyukta-svapnāvabodhasya yogo bhavati duḥkha-hā Audio भावार्थ: दुःखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य आहार-विहार करने वाले का, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले का और यथायोग्य सोने तथा जागने वाले का ही सिद्ध होता है॥17॥ Translation But those who are temperate in eating […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नत: |न चाति स्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन || 16|| nātyaśhnatastu yogo ’sti na chaikāntam anaśhnataḥna chāti-svapna-śhīlasya jāgrato naiva chārjuna Audio भावार्थ: हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिलकुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 15
युञ्जन्नेवं सदात्मानं योगी नियतमानस: |शान्तिं निर्वाणपरमां मत्संस्थामधिगच्छति || 15|| yuñjann evaṁ sadātmānaṁ yogī niyata-mānasaḥśhantiṁ nirvāṇa-paramāṁ mat-sansthām adhigachchhati Audio भावार्थ: वश में किए हुए मनवाला योगी इस प्रकार आत्मा को निरंतर मुझ परमेश्वर के स्वरूप में लगाता हुआ मुझमें रहने वाली परमानन्द की पराकाष्ठारूप शान्ति को प्राप्त होता है॥15॥ Translation Thus, constantly keeping the mind absorbed […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 14
प्रशान्तात्मा विगतभीर्ब्रह्मचारिव्रते स्थित: |मन: संयम्य मच्चित्तो युक्त आसीत मत्पर: || 14|| praśhāntātmā vigata-bhīr brahmachāri-vrate sthitaḥmanaḥ sanyamya mach-chitto yukta āsīta mat-paraḥ Audio भावार्थ: ह्मचारी के व्रत में स्थित, भयरहित तथा भलीभाँति शांत अन्तःकरण वाला सावधान योगी मन को रोककर मुझमें चित्तवाला और मेरे परायण होकर स्थित होए॥14॥ Translation Thus, with a serene, fearless, and unwavering mind, […]
Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 13
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलं स्थिर: |सम्प्रेक्ष्य नासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन् || 13|| samaṁ kāya-śhiro-grīvaṁ dhārayann achalaṁ sthiraḥsamprekṣhya nāsikāgraṁ svaṁ diśhaśh chānavalokayan Audio भावार्थ: काया, सिर और गले को समान एवं अचल धारण करके और स्थिर होकर, अपनी नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि जमाकर, अन्य दिशाओं को न देखता हुआ॥13॥ Translation He must hold the body, neck, and […]