साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे जाना है रे बन्दे जग नाही अपना,बेगाना है रे बन्दे

साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे
जग नाही अपना,बेगाना है रे बन्दे…
जाना है रे बन्दे…जाना है रे बन्दे…
साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे

पत्ता टूटा डारि से, ले गयी पवन उड़ाय,
अबकी बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय ।
माली आवत देख कर कलियन करी पुकार,
फुले-फुले चुन लिए काल हमारी बार ॥
साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे…

चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय,
दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोय ।
लूट सके तो लूट ले सत्य नाम की लूट,
पाछे फिर पछताओगे,प्राण जांहि जब छूट ॥
साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे…

माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोय,
इक दिन ऐसा होयेगा, मैं रौंदूगी तोय ।
लकड़ी कहे लुहार से तू मत जारी मोहि,
इक दिन ऐसा होयेगा, मैं जारूँगी तोहि ॥
साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे…

बन्दे तू कर बंदगी, तव पावे दीदार,
अवसर मानुष जन्म का, बहुरि ना बारम्बार ।
कबीरा सोया क्या करे, जाग ना जपे मुरारी,
एक दिना है सोवना लम्बे पाँव पसारी ॥
साईं की नगरिया जाना है रे बन्दे..जाना है रे बन्दे…

See also  Bhagavad Gita: Chapter 3, Verse 3

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