Shyam Ka Khajana Lut Raha Re, Shyam Ka Khajana Lut Raha Re [Rajasthani Shyam Bhajan] by Jai Shankar Chaudhary
Shyam Ka Khajana Lut Raha Re, Shyam Ka Khajana Lut Raha Re [Rajasthani Shyam Bhajan] by Jai Shankar Chaudhary

Shyam Ka Khajana Lut Raha Re [Rajasthani Shyam Bhajan] by Jai Shankar Chaudhary

 

लूट रहा, लूट रहा, लूट रहा रे,
श्याम का खजाना लूट रहा रे
लूट रहा, लूट रहा, लूट रहा रे,
बाबा का खजाना लूट रहा रे

लूट सके तो लूट ले रे बन्दे
काहे देरी करता है
ऐसा मौका फिर न मिलेगा
सबकी झोली भरता है
इनकी शरण में आकर के
जो कुछ भी माँगा मिल गया रे
लूट रहा, लूट रहा, लूट रहा रे…

हाथों हाथ मिलेगा परचा
यह दरबार नराला है
घर घर पूजा हो कलयुग में
भगतो का रखवाला है
जिस ने भी इनका नाम लिया
किस्मत का ताला खुल गया रे
लूट रहा, लूट रहा, लूट रहा रे…

इनके जैसा इस दुनिया में कोई भी दरबार नहीं
ऐसा दयालु है बनवारी करता कभी इंकार नहीं
कौन है ऐसा इस दुनिया में, जिसको बाबा नट गया रे
लूट रहा, लूट रहा, लूट रहा रे…

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