श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् नवकञ्ज लोचन कञ्जमुख कर कञ्जपद कञ्जारुणम् श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् ।नवकञ्ज लोचन कञ्जमुख कर कञ्जपद कञ्जारुणम् ॥ १ ॥ कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् ।पटपीत मानहुं तड़ित रूचि-शुची नौमि जनक सुतावरम् ॥ २ ॥ भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् ।रघुनन्द आनंदकंद […]