Sudhanshuji Maharaj- Bhajan- Karta Rahu Gungaan
करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥
मै करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥
तेरी दया से हे मनमोहन,
मैंने यह नर तन पाया।
तेरी सेवा में बाधाए
डाले जग की मोह माया।
फिर भी अरज करता हूँ,
हो सके तो देना ध्यान॥
करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥
राधा मीरा नरसी जैसी
दुःख सहने की शक्ति दो।
विचलित ना हूँ पथ से प्रभुजी,
मुझ को ऐसी भक्ति दो।
तेरी ही सेवा में ही बीते,
इस जीवन की हर शाम॥
करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥
क्या मालुम कब कौन घडी,
तेरा बुलावा आ जाए।
मेरी मन की इच्छा मेरे
मन ही मन में रह जाए।
मेरी इच्छा पूरी करना,
ओ मेरे घनश्याम॥
करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥
करता रहूँ गुणगान,
मुझे दो ऐसा वरदान।
तेरा नाम ही जपते जपते,
इस तन से निकले प्राण॥