माता माता माता माता माता माता सुनले तूँ मेरी पुकार हो

माता.. माता.. माता.. माता.. माता.. माता…
सुनले तूँ मेरी पुकार हो…
सुनले तूँ मेरी पुकार,माता मैं तो घिरा हूँ, घोर पाप में
सुनले तूँ मेरी पुकार…।

जाऊँ कहाँ मैं, कौन है मेरा माई ,तूँ ही बता दे ।
किसको सुनाऊँ,  दुःख की कहानी माई अपना पता दे ॥
ढूँढूँ कहाँ मैं तेरा द्वार , माता मैं तो घिरा हूँ घोर पाप में
सुनले तूँ मेरी पुकार..।

दुःख हरनी दुःख मेरा मिटादे, मैं हूँ तेरी शरण में।
सारे जगत का वैभव है माँ तेरे, दोनों चरण में।
देदे मुझे भी थोड़ा प्यार,माता मैं तो घिरा हूँ घोर पाप में
सुनले तूँ मेरी पुकार…।

तेरे चरण की धूल मिले तो कटें, पाप जनम के ।
तेरी कृपा की दृष्टि पड़े तो, जमे बीज धरम के ॥
आ जाये मन में बहार,माता मैं तो घिरा हूँ घोर पाप में
सुनले तूँ मेरी पुकार..

सूना है जीवन तेरे बिना ओ माई, जाऊँ कहाँ मैं ।
तूँ ही बता दे, तूँ है कहाँ ये, तुझे पाऊँ कहाँ मैं ॥
जीवन के दिन चार, होय माता मैं तो घिरा हूँ घोर पाप में
सुनले तूँ मेरी पुकार हो…
सुनले तूँ मेरी पुकार
सुनले तूँ मेरी पुकार..!

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