ऊबो थारी हाजरी बजाऊं मावड़ी , बोल कुण सो भजन सुनाऊं मावड़ी

ऊबो थारी हाजरी बजाऊं मावड़ी ,
बोल कुण सो भजन सुनाऊं मावड़ी ।
बोल कुणसी सेवा निभाउँ मावड़ी,
बोल तन्ने की कर रिझाऊं मावड़ी 

भाव भजन म्हारे समझ ना आये,
भाव में तो हिवड़ो भर-भर आये 
बोल कितना आँसुड़ा बहाऊँ मावड़ी,
बोल तन्ने की कर रिझाऊं मावड़ी 

हर्ष भरूं या सिणगार मैं गाऊं,
किन विधि थारा वारणा उतारूँ ।
शब्द के सिणगार के सजाऊँ मावड़ी,
बोल तन्ने की कर रिझाऊं मावड़ी 

तन-मन-धन दादी तेरो है,
कुछ भी नहीं प्रभु मेरो है ।
चरणां में भेंट के चढाऊँ मावड़ी,
बोल तन्ने की कर रिझाऊं मावड़ी 

तेरे बिना लागे जग सुना , 
तेरे बिना कुछ भाये ना । 
तू ममता की मूरत मैया ,
हर बेसहारा की सहारा तू मैया ॥ 

मैं तेजस सेवा थारी जानू ,
जनम जनम उपकार यू मानु ।
दादी दादी नाम बस गाऊ मावड़ी 
बोल तन्ने  की कर रिझाऊं मावड़ी ॥

बोल कुणसी सेवा निभाऊं मावड़ी ।
बोल तन्ने की कर  रिझाऊं  मावड़ी ॥

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